गुजरात में AAP को चुनाव से पहले तनाव, BTP का गठबंधन पर झटका

गुजरात में AAP को चुनाव से पहले तनाव, BTP का गठबंधन पर झटका

वसावा ने कहा, “जो लोग इस देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, वे मजदूरों और उनके मुद्दों के बारे में बात करने से कतरा रहे हैं। चाहे हम जीतें या हारें, हम इन टोपीवालों के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे।”

आम आदमी पार्टी (आप) जो गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरने की तैयारी कर रही है, उसे गुजरात का चुनाव अकेले ही लड़ना पड़ सकता है। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) द्वारा अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन को रद्द करने से ‘आप’ को गंभीर झटका लगने की संभावना है।

बीटीपी नेता छोटूभाई वसावा ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “इस देश में स्थिति बहुत खराब है और हम किसी भी टोपीवाले के साथ संबंध नहीं रखना चाहते हैं, चाहे वह भगवा टोपी पहनने वाले हों या झाड़ू के प्रतीक के साथ सफेद टोपी पहनने वाले हों। ये सभी एक जैसे ही हैं। यह देश पगड़ी पहने लोगों का है और आदिवासियों के मुद्दों को सभी दलों ने नजरअंदाज किया है।”

‘आप’ के वरिष्ठ नेताओं के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (1 मई) पर जब उन्होंने मजदूरों के लिए दो शब्द बोलने को कहा, तो उन्होंने ऐसा नहीं किया।

वसावा ने कहा, “जो लोग इस देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, वे मजदूरों और उनके मुद्दों के बारे में बात करने से कतरा रहे हैं। चाहे हम जीतें या हारें, हम इन टोपीवालों के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे।”

मई में की थी संयुक्त रैली
1 मई को केजरीवाल, वसावा और उनके बेटे महेश वसावा ने भरूच के चंदेरिया गांव में संयुक्त रूप से “आदिवासी संकल्प महासम्मेलन” को संबोधित किया था, जहां नेताओं ने चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की थी। बीटीपी के गुजरात में दो और राजस्थान में दो विधायक हैं।

बीटीपी का यह फैसला तब आया है जब ‘आप’ ने दस उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी है, जिसमें तीन आदिवासी उम्मीदवार भी शामिल हैं- तापी जिले के निजार से अरविंद गामित, साबरकांठा में खेड़ब्रह्मा सीट से बिपिन गमेती और नर्मदा जिले की नंदोद सीट से प्रफुल्ल वसावा के नाम का ऐलान किया गया है।

‘आप’ गठबंधन खत्म करने का कोई मैसेज नहीं मिला
छोटा उदयपुर सीट से ‘आप’ के उम्मीदवार अर्जुन राठवा ने कहा कि उनके नाम की घोषणा 10 उम्मीदवारों की पहली सूची में की गई थी। अर्जुन राठवा ने कहा, “हमें गठबंधन खत्म करने के बारे में बीटीपी से ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला है। 1 मई की बैठक के बाद, हमने बार-बार छोटूभाई वसावा और उनके बेटे के साथ बैठक की है और हम आदिवासियों के सभी मुद्दों पर एकमत हैं। यहां तक ​​कि अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषित आदिवासी ‘गारंटी’ भी उनके साथ चर्चा के बाद थी। बीटीपी ने अतीत में हमें गुजरात में आदिवासियों के लिए सभी 27 आरक्षित सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों की एक सूची दी थी, लेकिन जब हमने उनसे अधिक विवरण साझा करने के लिए कहा- जैसे कि वे किस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे और उम्मीदवार की जीत का कारक, हमें नहीं मिला। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि छोटूभाई ने ऐसा निर्णय लिया है।”

2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले छोटूभाई वसावा ने कांग्रेस के साथ सीट साझा करने वाले गठबंधन में शामिल होकर अपने बेटे महेश वसावा के साथ बीटीपी बनाई थी। वह भरूच के झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र से जीते और उनके बेटे नर्मदा जिले के डेडियापाड़ा से जीते थे।

वसावा और बीटीपी ने हालांकि कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने गुजरात सहित लगभग पांच राज्यों में उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन उसे कोई सीट नहीं मिली।

गुजरात के लिए कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए किसी तरह की चर्चा के बारे में पूछे जाने पर वसावा ने कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हम अपने दम पर लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे। 2017 में कांग्रेस ने केवल हमारे साथ (गठबंधन की) बातचीत की, लेकिन आखिरकार उन्होंने हमारे खिलाफ उम्मीदवार उतारे।

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *