शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को फिर भेजे तीन चुनाव चिह्न, पहली बार में हो गए थे खारिज

शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को फिर भेजे तीन चुनाव चिह्न, पहली बार में हो गए थे खारिज

शिंदे गुट ने पार्टी निशान के लिए चुनाव आयोग के समक्ष दूसरी पेशकश कर दी है। बता दें कि उद्धव खेमे को सोमवार को मशाल का निशान सौंपा गया था।

एकनाथ शिंदे गुट ने पार्टी निशान के लिए चुनाव आयोग के समक्ष दूसरी पेशकश की है। शिंदे खेमे ने चुनाव आयोग को अपने चुनाव चिन्ह विकल्प के रूप में ‘चमकता सूरज’, ‘ढाल और तलवार’ और ‘पीपल का पेड़’ सौंपा है। बता दें कि इससे पहले शिंदे गुट ने त्रिशूल, गदा और उगता सूरज के तीन चिह्न विकल्प के तौर पर चुनाव आयोग को सौंपे थे लेकिन इन्हें खारिज कर दिया गया था। गदा और त्रिशूल के धार्मिक संकेत होने के चलते दोनों चुनाव निशान शिंदे गुट को नहीं मिले। वहीं, उगता सूरज द्रमुक का चुनाव निशान होने के कारण नहीं मिला। इसके बाद चुनाव आयोग ने फिर से शिंदे गुट को नए विकल्प देने के लिए कहा था।

उद्धव ठाकरे को मिल चुका है मशाल चुनाव चिह्न
बता दें कि उद्धव ठाकरे को चुनाव आयोग ने मशाल चुनाव चिह्न सौंपा है। इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट ने नए चुनाव चिह्न और नई पार्टी के नाम के साथ एक पोस्टर जारी किया है। उद्धव गुट ने पहले त्रिशूल, उगता सूरज और मशाल चुनाव चिह्न विकल्प के रूप में दिए थे। इनमें से उद्धव गुट को मशाल चुनाव चिह्न मिल गया। उद्धव गुट को ‘त्रिशूल’ का चिह्न इसलिए नहीं मिला क्योंकि इसका धार्मिक संकेत है। ‘उगता सूरज’ इसलिए नहीं मिला क्योंकि यह तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रमुक के पास है। ‘मशाल’ चुनाव चिह्न 2004 तक समता पार्टी के पास था। उसके बाद से यह किसी को आवंटित नहीं था, इसलिए यह चिह्न उद्धव गुट को दिया गया है।

दोनों गुटों को पार्टी के नाम किए गए आवंटित
दोनों गुटों ने अपने पहले वैकल्पिक नाम के तौर पर शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे) नाम दिया था। इस वजह से दोनों ही गुटों को यह नाम नहीं मिला। इसके साथ ही उद्धव गुट के विकल्प में पार्टी के नाम के रूप में दूसरा विकल्प शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम था। इसे उद्धव गुट को आवंटित कर दिया गया। इसी तरह शिंदे गुट के विकल्प में दूसरा विकल्प बालासाहेबची शिवसेना दिया गया।

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