रूस से तेल खरीदने पर जयशंकर की दो टूक, अब अमेरिका ने कही ये बात

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ने के सवाल पर कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव को खत्म करने में अभी लंबा समय लगेगा. यह बिजली का बटन दबाने जैसा नहीं है. उन्होंने यह बयान रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के स्पष्टीकरण के बाद दिया है.
यूक्रेन पर हमले के बावजूद अमेरिका और यूरोप के तमाम आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया सामने आई है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव को खत्म करने में अभी लंबा समय लगेगा. यह किसी स्विच को दबाने जैसा नहीं है.
नेड प्राइस ने भारत का रूस से कच्चे तेल और फर्टिलाइजर का आयात बढ़ने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, मेरा काम किसी दूसरे देश की विदेश नीति पर बात करना नहीं है. लेकिन जो हमने भारत से सुना है, हम उस पर बात कर सकते हैं. हमने दुनियाभर के देशों को यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वोट समेत कई बातों पर स्पष्ट रूप से बात करते देखा है. हम यह भी समझते हैं और जैसा मैंने कुछ देर पहले कहा था कि यह बटन दबाने जैसा नहीं है. विशेष रूप से ऐसे देशों के साथ जिनके रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं.
US @StateDeptSpox on India increasing oil imports from Russia
"this is not flipping a light switch… relationships that, as is the case with India, extend back decades, it is going to be a long-term proposition to reorient foreign policy away from Russia" https://t.co/mbBzViszO8 pic.twitter.com/yrityDYz2v
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) August 18, 2022
उन्होंने कहा, भारत के मामले में भी ऐसा है, उनके रूस के साथ दशकों पुराने संबंध हैं. भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ अपने झुकाव को खत्म करने में लंबा समय लगेगा.
बता दें कि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया था.
US @StateDeptSpox on India joining Russian joint military exercise #Vostok2022
"We recognise that there are countries around the world – well, every country around the world is going to make its own sovereign decisions based on its own assessment of its interests and its values" pic.twitter.com/0aBujZ790j
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) August 18, 2022
मई में सऊदी अरब को पीछे छोड़कर रूस, भारत में तेल का निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया था. इस मामले में इराक पहले स्थान पर है. भारत की तेल कंपनियों को भारी छूट पर रूस का कच्चा तेल मिल रहा है. भारतीय तेल कंपनियों ने मई महीने में रूस का लगभग 2.5 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है.
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा था कि रूस से कच्चा तेल खरीदने का भारत का फैसला डिफेंसिव नहीं है. अमेरिका और अन्य देशों को यह एहसास हो गया है कि अपने देश के लोगों के लिए बेस्ट डील करना सरकार का नैतिक कर्तव्य है.
उन्होंने कहा था कि हम अपने हितों को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है. मेरे देश की प्रति व्यक्ति आय 2000 डॉलर है. ये लोग महंगा तेल नहीं खरीद सकते. ऐसे में यह सुनिश्चित करना मेरा नैतिक कर्तव्य है कि मैं उनके लिए बेस्ट डील कर सकूं, जो मैं कर सकता हूं.
बता दें कि भारत ने रूस के पांच एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए अक्टूबर 2018 में रूस के साथ पांच अरब डॉलर का समझौता किया था.