भारत से बातचीत मे शेख हसीना के लिए दो मुद्दे हो सकते हैं बेहद खास, आम चुनाव में उनकी जीत के लिए बन सकते है ट्रंप कार्ड

नई दिल्ली। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना तीन साल के बाद भारत की चार दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली आई हैं। उनकी इस यात्रा के खास मायने इसलिए भी हैं क्योंकि इस वर्ष ही बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में देश की जनता के सामने उन्हें अपनी उपबल्धियां भी बतानी हैं। इसके अलावा भारत दौरे से भी उन्हें कुछ न कुछ जरूर चाहिए। दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ताओं में कुछ बड़े समझौते भी होने की पूरी उम्मीद है। इसके अलावा भारत चीन के बढ़ते कदमों को लेकर भी बांग्लादेश से बात कर सकता है। इन सभी के बीच बांग्लादेश की पीएम के लिए दो ऐसे मसले हैं जो काफी अहम हैं। ये मसले देश में मौजूद रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी और तीस्ता नदी का है।
आपको बता दें कि बांग्लादेश में करीब 9 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी हैं जो विभिन्न रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं। पीएम शेख हसीना पहले ही इनको लेकर अपनी स्थिति साफ कर चुकी हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने इन शरणार्थियों को बांग्लादेश के ऊपर बोझ बताया था। इससे ये बात साफ है कि वो इनको वापस भेजना चाहती हैं। वहीं दूसरी तरफ म्यांमार इस पर बांग्लादेश की बात को लगातार अनसुना करता रहा है। ऐसे में बांग्लादेश की पीएम इस मुद्दे पर भारत की तरफ देख रही हैं। माना जा रहा है कि वो भारत को इस राह में साथी बनाना चाहती हैं
भारत भी इन शरणार्थियों को गैरकानूनी रूप से रहने वाले लोग बताते हुए सख्त रुख दिखाता आया है। ऐसे में काफी हद तक मुमकिन है कि दोनों देशों के बीच इस साझा मुद्दे पर बात हो और ये किसी मुकाम पर भी पहुंच जाए। पीएम शेख हसीना यदि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को हल करने में सफल हो जाती हैं तो वो अपने देश के नागरिकों को ये बता पाएंगी कि उन्होंने इसमें कामयाबी हासिल की है। उनके लिए ये मुद्दा राजनीतिक भी हो सकता है, जो उनकी जीत में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
वहीं दूसरा मुद्दा तीस्ता का है जो काफी समय से लंबित है। इसे हल करने के लिए दोनों देशों के बीच जो आयोग बना था उसकी 12 वर्षों में केवल एक बैठक हुई है। दोनों देशों के बीच बहने वाली ये नदी का मुद्दा काफी समय से दोनों देशों के बीच बना हुआ है। बांग्लादेश इसको लेकर कई बार अपनी चिंता भी जताता रहा है। तीस्ता को लेकर दोनों देशों के बीच 2011 में ही एक करार पर हस्ताक्षर होने थे लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर आपत्ति जता दी, जिसके बाद ये वहीं पर रुक गया। इसके बाद से ही इसका हल नहीं निकाला जा सका।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हाल ही में इस मुद्दे पर पीएम शेख हसीना से बातचीत करने की इच्छा जताई थी। लेकिन अब जबकि वो दिल्ली में हैं तो ममता को दिल्ली नहीं बुलाया गया है। ऐसे में तीस्ता को लेकर एक बार फिर मामला ठंडे बस्ते में जाने की आशंका जताई जा रही है।