आजाद के इस्तीफे के बाद बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें, JK के बाद हरियाणा में भी आ सकता है बड़ा संकट

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। जी 23 नेताओं का एक गुट गुलाम बनी आज़ाद के संपर्क में है और पार्टी बगावत की धीमी आवाज राहुल गांधी के कानों में पहुंच रही है। इसे लेकर कांग्रेस के दिल की धड़कन धीरे-धीरे बढ़ रही है।
राहुल गांधी
दरअसल, मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण ने गुलाम नबी आजाद से दिल्ली में मुलाकात की। ये सभी नेता जी-23 का हिस्सा हैं, जिसने पार्टी में सुधार के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। माना जा रहा है कि उस चिट्ठी के बाद से ये नेता पार्टी में हाशिए पर चल रहे हैं। भले ही तीनों नेताओं ने कहा कि वे गुलाम नबी आजाद के पुराने दोस्त हैं और मुलाकात औपचारिक थी, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास है हरियाणा कांग्रेस की कमान
दरअसल हरियाणा में कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान सौंपी है। उनके करीबी सहयोगी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है और उनकी विरोधी कही जाने वाली कुमारी शैलजा को पद से हटा दिया गया है। उसके बाद भी आजाद के खेमे में हुड्डा का रुकना कांग्रेस को सतर्क करने वाला है।
अब शशि थरूर का भी अंदाज बदला
इसके अलावा जी-23 का हिस्सा बताए जा रहे शशि थरूर भी अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना चाहिए और जितने अधिक उम्मीदवार हों, उतना अच्छा है। उनके स्टैंड से चर्चा शुरू हो गई है कि वह भी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। साफ है कि जी-23 समूह पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह परेशानी पैदा कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर के बाद हरियाणा में भी आ सकता है बड़ा संकट
गुलाम नबी आजाद से मुलाकात के बाद कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने अपना रवैया नहीं बदला। इस वजह से आजाद साहब को पार्टी छोड़ने का फैसला लेना पड़ा। इस बीच कुछ और जी-23 नेता अनौपचारिक बैठकें कर रहे हैं और जल्द ही उनकी तरफ से भी कुछ घोषणा की जा सकती है।
इन नेताओं के साथ शशि थरूर भी आ सकते हैं, जिनके बारे में चर्चा है कि वह पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकते हैं। साफ है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इतना ही नहीं गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के सामने जो संकट खड़ा किया है, वही चुनौती हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में भी आ सकती है।