विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार का बड़ा फैसला, CM बोम्मई ने की एससी-एसटी कोटा बढ़ाने की घोषणा

मुख्यमंत्री ने कहा, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों की आबादी के आधार पर लंबे समय से आरक्षण की मांग रही है। न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग की सिफारिशों पर आज सर्वदलीय बैठक में चर्चा की गई और इसे मंजूरी दे दी गई।
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कर्नाटक की भाजपा सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लिया है। यहां सरकार ने संवैधानिक संशोधन के जरिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की।
राज्य सरकार ने यह फैसला न्यायमूर्ति एच. एन. नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लिया है। इस आयोग ने एससी आरक्षण 15 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी करने की सिफारिश की थी, इसके अलावा एसटी आरक्षण को 3 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी करने की सिफारिश की थी। आयोग ने जुलाई 2020 में सरकार को अपनी सिफारिशें दीं थीं।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक सर्वदलीय बैठक के बाद इसकी घोषणा की। इस बैठक में कांग्रेस और जनता दल (एस) के नेता भी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों की आबादी के आधार पर लंबे समय से आरक्षण की मांग रही है। न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग की सिफारिशों पर आज सर्वदलीय बैठक में चर्चा की गई और इसे मंजूरी दे दी गई।
बोम्मई ने कहा, इससे पहले हमारी पार्टी के भीतर भी इस पर चर्चा हुई। पार्टी ने भी एससी/एसटी के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए फैसला लिया। उन्होंने यह भी बताया कि शनिवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई जाएगी, जहां इसको लेकर औपचारिक फैसला लिया जाएगा।
बताया जाता है कि बोम्मई सरकार पर आयोग की रिपोर्ट को लागू करने को लेकर एससी-एसटी सांसदों का काफी दबाव था। इसके अलावा, वाल्मीकि गुरुपीठ के आचार्य प्रसन्नानंद स्वामी भी इस कोटे को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और लंबे समय से भूख हड़ताल पर हैं। वहीं दूसरी ओर इस कोटे को बढ़ाने को लेकर देरी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर रही है।