कांग्रेस नेतृत्व के एक्शन से पार्टी में ख़लबली, सभी से कह दिया…

पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने बड़ा क़दम उठाया है. उन्होंने इन पाँचों राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों से इस्तीफ़ा माँगा है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने पाँच प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्षों से इस्तीफ़ा माँगा है. पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर के कांग्रेस अध्यक्षों को इस्तीफ़ा सौंपने के लिए कह दिया गया है.
आपको बता दें कि इन सभी राज्यों में कांग्रेस की बुरी हार हुई. पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में कांग्रेस को जीत की उम्मीद थी लेकिन इन राज्यों में उसे बुरी हार का सामना करना पड़ा वहीं उत्तर प्रदेश और मणिपुर में उसे उम्मीद थी कि वो चुनाव में कुछ मुक़ाबला पेश कर पाएगी. हालाँकि मणिपुर में भी कांग्रेस नाकाम रही और उत्तर प्रदेश में उसकी हालत ये हो गई कि उसके 399 में से 387 उम्मीदवार ज़मानत तक नहीं बचा सके. पार्टी को महज़ 2.33% वोट ही मिल पाया, कांग्रेस की हालत यूँ रही कि उससे बहुत कम सीटों पर चुनाव लड़ने वाली रालोद को उससे अधिक वोट मिल गए.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सिर्फ़ दो सीटें जीत सकी जिसमें से एक पर सपा ने उसे समर्थन दे दिया था. उत्तर प्रदेश की इस हार के बाद पार्टी पर राज्य में अस्तित्व को बचाना एक बड़ा संघर्ष हो गया है.
कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका पंजाब चुनाव में हार के बाद लगा है. किसान आन्दोलन पंजाब से ही शुरू हुआ था और उम्मीद थी कि यहाँ कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी लेकिन किसान धरना जब दिल्ली में चल रहा था उस समय आम आदमी पार्टी ने किसानों के लिए बहुत सी सुविधाएँ दीं. दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने पंजाब के किसानों के लिए टेंट से लेकर पानी तक की व्यवस्था की. विश्लेषक बताते हैं कि पंजाब के किसानों ने आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के इन कामों को सराहा और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 92 सीटें हासिल कीं. वहीं पंजाब कांग्रेस अपने झगड़ों से ही नहीं निकल पायी जिसकी वजह से उनके नेता जनता तक पहुंचने में नाकाम रहे.
चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने पुराने नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को नाराज़ कर दिया जिसके बाद अमरिंदर ने अलग होकर नई पार्टी बना ली। अमरिंदर की नाराज़गी का बड़ा कारण पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू रहे।सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी और सुनील जाखड़ में भी गम्भीर मतभेद थे। इन सब बातों का नुक़सान कांग्रेस को हुआ और पार्टी 117 सीटों वाली विधानसभा में महज़ 18 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस को वोट भी 23 प्रतिशत ही मिल सका।
उत्तराखंड में कांग्रेस की स्थिति पंजाब से तो बेहतर ही थी। यहाँ पार्टी को 70 में से 19 सीटें मिलीं और क़रीब 38% वोट मिला। मणिपुर और गोवा जैसे राज्यों में भी कांग्रेस ने भयंकर रणनीतिक चूक की जिसका ख़ामियाज़ा पार्टी को उठाना पड़ा। आलाकमान के फ़रमान के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोडियाल ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
उन्होंने कहा,”प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आज मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। मैं परिणाम के दिन ही इस्तीफा देना चाहता था पर हाईकमान के आदेश की प्रतिक्षा पर रुका था।” ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही बाक़ी 4 राज्यों के अध्यक्ष भी अपने इस्तीफे पार्टी आलाकमान को सौंपेंगे.