आमिर-शाहरुख को टककर देने वाले ये एक्टर हारे थे अपनी पत्नी से, आधी रात को निकाला था घर से बहार, अब जीते है ऐसी जिंदगी…

आमिर-शाहरुख को टककर देने वाले ये एक्टर हारे थे अपनी पत्नी से, आधी रात को निकाला था घर से बहार, अब जीते है ऐसी जिंदगी…

3 खान (सलमान, आमिर, शाहरुख) बॉलीवुड में काफी मशहूर हैं। वे सदियों से फिल्म उद्योग पर राज कर रहे हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे हीरो से मिलवाने जा रहे हैं जिसने कभी इन खानों को कड़ी टक्कर दी थी।

इस हीरो की मौजूदगी से शाहरुख-आमिर जैसे सितारों का वजूद हिल गया। लेकिन फिर नायक गुमनामी के ऐसे दलदल में गिर गया कि वह फिर कभी बाहर नहीं निकल सका। दरअसल हम यहां बात कर रहे हैं पुराने जमाने के स्टार ‘दीपक तिजोरी’ की।

दीपक ने भले ही लीड हीरो के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की हो, लेकिन बाद में उन्हें साइड हीरो के तौर पर अपनी असली पहचान मिली। उनकी खास बात यह थी कि उन्होंने जिस भी फिल्म में साइड हीरो की भूमिका निभाई, उन्होंने अपने शानदार अभिनय से एक अलग छाप छोड़ी।

आलम ऐसा था कि लोग मुख्य नायक से ज्यादा उनके काम की चर्चा करते थे। आशिकी फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले दीपक तिजोरी ने आमिर खान के साथ ‘जो जीता वही सिकंदर’ में काम किया था।

वहीं वह शाहरुख खान के साथ ‘कभी या और कभी ना’ में नजर आए थे। वह इन दोनों फिल्मों में साइड हीरो थे, लेकिन उन्होंने अपनी अदाकारी से शाहरुख-आमिर पर भारी पड़ गए। हालांकि, कुछ समय बाद दीपक की फिल्में फ्लॉप होने लगीं।

ऐसे में उन्होंने डायरेक्शन का रास्ता चुना। लेकिन उनकी निर्देशित फिल्में भी नहीं चलीं। मजबूरी में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली। वह इस समय 60 साल के हैं। उनकी लेटेस्ट तस्वीरों को देखकर आप उन्हें पहचान भी नहीं पाएंगे.

उन्हें आखिरी बार 2018 में साहिब बीवी और गैंगस्टर 3 में देखा गया था। इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान जब दीपक पब्लिक के सामने आए तो उन्हें कोई पहचान भी नहीं पाया. हालांकि बाद में दर्शकों ने उनके लुक की तारीफ की।

दीपक तिजोरी का जन्म 28 अगस्त 1961 को मुंबई में हुआ था। तिजोरी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मुंबई से पूरी की। उन्होंने नरसी मोनजी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। अभिनय में बहुत रुचि होने के कारण, उन्होंने पढ़ाई के बाद थिएटर में प्रवेश लिया।

वे जिस ग्रुप में शामिल हुए, उसमें उनकी मुलाकात आशुतोष गोविरकर, आमिर खान और विपुल शाह से हुई। अभिनेता बनने की अपनी इच्छा में उन्हें कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1988 में फिल्म तेरा नाम मेरा से की थी।

उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में यह भूमिका निभाई। उन्होंने खिलाड़ी, बेटा, कोहराम, आशिकी, पहल नशा, दिल तेरा आशिक सहित कई सुपरहिट फिल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में काम किया।

निर्देशन करियर उन्होंने अपने निर्देशन की शुरुआत वर्ष 2003 में एडल्ट फिल्म ऊप्स से की थी। लेकिन उन्हें हिंदी सिनेमा में बतौर निर्देशक पहचान फिल्म फरेब काये के जरिए मिली। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में शिल्पा शेट्टी और शमिता शेट्टी नजर आई थीं।

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